
“शिवांगी संगीत महाविद्यालय के 75 कलाकारों द्वारा “नृत्य संरचना” “क्रांति गाथा” की कथक अंग में विहंगम प्रस्तुति”
मेरठ : सन 1857 की क्रांति के सूत्रधार स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम महानायक अमर शहीद मंगल पांडे को प्रथम क्रांति में उस महान बलिदान हेतु भारत का जन गण मन नतमस्तक होकर उन्हें स्मरण एवं नमन करता है।



10 मई 18 57 को मेरठ की इस पावन धरा पर क्रांति का शंखनाद हुआ। यहां के कोतवाल धनसिंह गुर्जर ने अपने 85 सैनिकों के साथ उन फिरंगियों के खिलाफ बगावत कर दिया। तब इस इसी विक्टोरिया पार्क जेल में उन सबको बर्बरता से ठूंस दिया गया। गदर की यह चिंगारी आग का शोला बन कर भारत माता की जय जय कार के साथ जेल की सलाखों तोड़ती मेरठ से दिल्ली पहुंच गई, और लाल किले की प्राचीर पर अपना भारतीय झण्डा फहरा दिया गया।

मुगलों के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर को अपने देश का राजा घोषित कर दिया गया। इसके बाद झांसी की रानी लक्ष्मीबाई , तात्या टोपे, नाना साहिब पेशवा ,आदि यह सब अलग-अलग अंग्रेजों के विरुद्ध उस रणक्षेत्र में मां भारती की जय जय घोष के साथ उतर पड़े और फिर गया छिड़ गया 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का वह भीषण महायुद्ध और अंततः हमें आजादी मिली।


इसी कथानक की प्रस्तुति ‘कथक अंग’ में नृत्य संरचना “क्रांति गाथा” को क्रांतिदिवस में शिवांगी संगीत महाविद्यालय के 75 कलाकारों द्वारा कथक अंग में नृत्य नाटिका “क्रांति गाथा” का संयोजन संस्थान की निर्देशिका श्रीमती ऋचा शर्मा द्वारा किया गया । नृत्य संरचना शिवांगी संस्थान की प्रख्यात कथक गुरु एवं नृत्यांगना श्रीमती रुचि बलूनी द्वारा की गई। संगीत निर्देशन प्रधानाचार्य श्री राजा बलूनी द्वारा दिया गया। मंच संचालन डा.मीनाक्षी शास्त्री द्वारा।
